स्वामी डॉ दिव्यानन्द सरस्वती
डी.लिट./प्रवक्ता, लेखक , कवि, कुलपति व्यवस्थापक, योग प्रशिक्षक, ब्रहानिष्ठ
"दयानंद रेजिडेन्शियल हाई स्कूल ", पटौदी हाउस, दिल्ली के प्रधानाध्यापक और बाद में " हिन्दू महासभा " के धुरंधर योद्धा - नेता प्रो. रामसिंह एम. ए. के परमप्रिय शिष्य बनकर "राजालाल" ने नेशनल यूनिवेर्सिटी अलीगढ से सन १९२१ में सुब विषयों में सर्वप्रथम रहकर मैट्रिक परीक्षा उतीर्ण की | "असहयोग आन्दोलन" के इस काल में गुरुशिष्य ने बढ़ - चढ़कर विदेशी वस्तुओं का विरोध किया |
शिक्षा:
- पैतृक गृह में: क्षेत्रीय इंटर कालेज सिरसागंज में बारहवी कक्षा में पढ़ते हुए गृह त्याग किया |
- १. गृह त्याग के पश्चात् अध्ययन
२. व्याकरण शास्त्री -गुरुकुल झज्जर, रोहतक |
३. दर्शनाचार्य - गुरुकुल झज्जर, रोहतक |
वेदाचार्य - प्रथम वर्ष - गुरुकुल झज्जर, रोहतक |
एम. ए. वैदिक साहित्य - गुरुकुल, कांगड़ी विश्व विद्यालय, हरिद्वार | - ४. एम. ए. दर्शन शास्त्र - गुरुकुल, कांगड़ी विश्व विद्यालय, हरिद्वार |
- ५. पी.एच.डी. ( वेदों में योग विद्या ) - गुरुकुल, कांगड़ी विश्व विद्यालय, हरिद्वार |
- (प्राकृतिक चिकित्सा ) - एन. डी ....... गोरखपुर |
- (डी.लिट.) वेद-दर्शनों में अंत:करण का तार्किक विश्लेषण एवं बुद्धिविकास के सधानोपाय |
- गुरुकुल चित्तोड़ गड़ में प्राथमिक कक्षों को |
- गुरुकुल झज्जर में - मध्यमा, शास्त्री, आचार्य कक्षा संस्कृत - व्याकरण, साहित्य, छंद शास्त्र आदि |
- गुरुकुल झज्जर में - २ वर्ष प्रधानाध्यापक |
- गुरुकुल कांगड़ी विश्व विद्यालय में - एम. ए. कक्षा को ( वेद दर्शन ) विद्यालय में छात्रावास - अध्यक्ष पद - २ वर्ष |
- पोस्ट मास्टर (४ वर्ष ) गुरुकुल झज्जर में |
- मंत्री पद (४ वर्ष ) सार्वदेशिक दयानंद सन्यासी वानप्रस्थ मंडल हरिद्वार यज्ञ-प्रवचन के द्वारा प्रचार - पढते, पढ़ाते हुए |
- लगभग - १०० चतुर्देव पारायण यज्ञ तथा बृहदयज्ञ |