पातंजल योगधाम
पातंजल योगधाम की स्थापना को इस वर्ष अप्रैल मास में अनेक सफलताओं व सार्थकताओं से भरें २५ वर्ष पुरे हो रहे है | इस चौथाई शती में हमारे इस प्रिय आश्रम ने समाज में योग के क्रियात्मक प्रचार व प्रसार के लिए प्रभूत एवं प्रशंसनीय योगदान किया है| उसका आकलन और अवलोकन करने से हमें स्वयं के आत्मनिरीक्षण का अवसर तो मिलेगा ही, आवश्यक संशोधन करने के प्रेरणा भी प्राप्त होगी | आगे बढ़ते हुए हमें जब-जब समय मिले, तब तब पीछे मुड़कर सिहावलोकन भी वांछनीय और उपयुक्त अवसर है | और यह रजत- जयंती ऐसा ही वांछनीय और उपयुक्त अवसर है | और यह स्मारिका हमारे पुनरीक्षण व तटस्थ विहगावलोकन का प्रतिफल बन सके, हम ने ऐसा ही कुछ प्रयास किया है |
महर्षि पतंजलि द्वारा प्रतिपादित वैदिक योगविद्या एवं उसकी व्यावहारिक साधना - प्रक्रिया को किसी जाति, वर्ग, भाषा, देश, आदि का भेद - भाव किये बिना मानव - मात्र और पढ़ें
योग एवं यज्ञ के प्रेमी भारतवर्षीय एवं विदेशीय साधक - सधिकायों के विवरण से विश्वास होगा कि प्रबुद्ध विद्द्वानों एवं योगी यतियों के परामर्श से जिन कार्य और पढ़ें
दिव्य गुरुकुल पातंजल योगधाम दूरदर्शन रीले केंद्र के पास दक्षिण की और गंग नहर के किनारे आर्यनगर में कनखल, ज्वालापुर रोड, पर स्थित है | और पढ़ें
योग - प्रशिक्षण के लिए साधकों की शारीरिक स्थिति सुदृढ़ होनी चाहिए | उनके स्वास्थ्य पर समुचित ध्यान देने के लिए पहले वैद्ध मुनिदेव सेवा करते थे | और पढ़ें
गोशाला के लिए तथा आगंतुकों के लिए शुद्ध गोदुग्ध की समुचित व्यवस्था के लिए गोशाला - निर्माण की योजना बनाई गई | मुख्य आश्रम के परिसर में ध्यान - योग - शिविरार्थियों और पढ़ें
आश्रम में प्रतिदिन यज्ञ करने के लिए तथा विशेष अवसरों पर बृहद यज्ञ करने के लिए यज्ञशाला की आवश्यकता थी | प्रारंभ में आर्य वानप्रस्थाश्रम के साधक - साधिकाओं और पढ़ें